जिसमे पहेली बार 90 सीटें, 9 एसटी के लिए आरक्षित
10 साल के लंबे समय के बाद, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बार चुनाव में 90 विधानसभा सीटें होंगी, जिनमें 9 सीटें (एसटी) के लिए आरक्षित की गई हैं।
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था, और पिछले एक दशक में चुनावी गतिविधियाँ स्थगित रहीं।
हाल ही में, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। जहा 18,25 सितंबर व एक अक्टूबर को मतदान होने वाला है वही 4 अक्टूबर को नातेजी आएगा।
इस फैसले के बाद, उम्मीद की जा रही है कि चुनावी प्रक्रिया में व्यापक भागीदारी होगी और क्षेत्रीय मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी। इस प्रकार के फैसले लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने और अलग अलग जातियों व समुदायों के लिए उनके बारे सोचना और उनके लिए काम करना है ।
वही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ घंटों पहले वायप्क पैमाने पर पुलिस और प्रशासन अधिकारियों के तबादले हुए । इनमे डिविजनल कॉमिस्नर, आईजी , डीआईजी सहित 122 अधिकारी है। इनमे 33 पुलिस और 89 प्रशासनिक अधिकारी है।
वही इस मौके पर नेता महबूब मुफ्ती ने कहा जब तक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा वे चुनाव नहीं लड़ेंगी। उमर अब्दुल्ला ने भी कहा ,नई सरकार शक्तिहीन होगी ,चुनाव लड़ूंगा। ऐसे में फारूक अब्दुल्ला चुनाव लड़ सकते हैं और सीएम फेस बन सकते हैं। हालांकि ऐलान नहीं किया गया है
यह परिवर्तन जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
जैसा की हम सबको पता है की आर्टिकल 370 हाटने के बाद ये पहला चुनाव जम्मू कश्मीर में होने जा रहा है। आइए जानते है की ये कब लागू हुआ था।26 जनवरी 1950 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने अनुच्छेद 370 के तहत अपना पहला आदेश, संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 1950 जारी किया था।
जिसके बाद 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था.
जानते है की क्या क्या महत्वपूर्ण प्रावधान आता है आर्टिकल 370 में।
- धारा 370 ने जम्मू और कश्मीर को संविधान की अन्य धारा से अलग विशेष स्वायत्तता दी थी।
- जम्मू और कश्मीर पर भारतीय संविधान के अधिकांश प्रावधान लागू नहीं होते थे।
- जम्मू और कश्मीर का अपना संविधान था, जो केंद्र के संविधान से अलग था।
- धारा 370 के अंतर्गत जम्मू और कश्मीर की स्थिति विशेष थी, जिसे आंशिक रूप से अलग शासकीय व्यवस्था मिली थी।
- धारा 370 के तहत आर्टिकल 35A भी लागू था, जो राज्य सरकार को विशेष अधिकार प्रदान करता था और बाहरी लोगों के लिए राज्य में भूमि खरीदने पर पाबंदी लगाता था।
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटना वहा के लिए बहुत जरूरी था और कही न कही इसका लाभ पूरे भारत के नागरिक को हो रहा है।