7 रेल हादसे पिछले 13 दिनों में। रेल के डिब्बे आज चलते फिरते ताबूत बनकर रह गए हैं.

7 रेल हादसे पिछले 13 दिनों में। रेल के डिब्बे आज चलते फिरते ताबूत बनकर रह गए हैं.
इस हसदे को लेकर पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि 13 दिनों में 7 रेल दुर्घटनाएं! इस तरह की रेल दुर्घटनाएँ बेहद चिंताजनक है. सरकार ट्रेनों में सुरक्षा व्यवस्था के मूलभूत कदम भी नहीं उठा रही है. भारतीय रेलवे को लेकर लालू यादव ने कहा कि रेल यात्रा इतनी असुरक्षित हो चुकी है कि ट्रेनों पर चढ़ने से पहले यात्री प्रार्थना करते हैं कि यह यात्रा उनकी अंतिम यात्रा ना हो.
साथ ही में हाल के दिनों में हुए रेल हादसों पर चिंता जाहिर करते हुए झारखंड के मुखमंत्री हेमंत सोरेन ने भी दुख जातया हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि घायलों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की जाए। उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक पोस्ट किया। जिसमें सिंहभूम और सरायकेला के डीसी को टैग किया। उन्होंने लिखा कि ट्रेन दुर्घटना में घायल यात्रियों तक हर मदद पहुंचाई जाए।


मंगलवार सुबह झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले मेंमुंबई-हावड़ा मेल के 18 डिब्बे पटरी से उतर गए।
इस में 2 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य लोग घायल हो गए।
इससे पहले भी कई रेल हसदे जुलाई में हुए है
18 जुलाई गोंडा ट्रेन एक्सीडेंट :
गोंडा रेलवे स्टेशन से गोरखपुर वाया डिब्रूगढ़ जा रही चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस गाड़ी संख्या (15904) जिसमे
चार लोगों की मौत जबकि 32 घायल हुए थे।
19 जुलाई को गुजरात में वलसाड और सूरत स्टेशन के बीच भी एक मालगाड़ी के पटरी से उतर गई थी।
20 जुलाई अलवर शहर के मथुरा अलवर गुड्स स्टेशन से रेवाड़ी जाने वाली एक मालगाड़ी के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए।
21 जुलाई पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस
सियालदह जाने वाली गाड़ी संख्या (13174 ) एक मालगाड़ी के बीच टक्कर जिसमे 9 लोगों की जान चली गई और 46 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे ।

तो आईए आज हम बात करते है की रेल दुर्घटनाओं को कम करने के लिए क्या क्या तरीको का इस्तिमल कर सकते है ।
1 –सुरक्षित सिग्नलिंग सिस्टम: आधुनिक और सटीक सिग्नलिंग सिस्टम की स्थापना करें ताकि ट्रेनें सही समय पर रुक सकें या धीमी हो सकें।
2–आधुनिक तकनीक का उपयोग: ऑटोमेटेड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ATCS) और अन्य उन्नत तकनीकों का उपयोग करें, जो ट्रेन के संचलन को सुरक्षित बना सकें।
3–मॉनिटरिंग और मेंटेनेंस: ट्रैक, सिग्नल और ट्रेन की नियमित जांच और मरम्मत की व्यवस्था सुनिश्चित करें। टूट-फूट के मामलों को तुरंत ठीक किया जाए।
4–प्रशिक्षण और जागरूकता: रेलवे कर्मचारियों और ड्राइवरों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान करें और उन्हें सुरक्षित कार्यप्रणालियों के बारे में जागरूक करें।

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