3 सितम्बर 2024 दोपहर 3 बजे बंगाल साहिब रोड , नई दिल्ली में ये कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमे झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल रहेंगे।
झारखंड का निर्माण होने के 24 वर्षा बाद झारखंड को अपना नया भवन मिलने वाला है।
वही इस भवन के सजावट में झारखंड के चित्रकला की प्रसिद्ध शैली सोहराई पेंटिंग का उपयोग किया गया है। सोहराई पेंटिंग, जो झारखंड की पारंपरिक चित्रकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है और इसमें प्राकृतिक दृश्य, आदिवासी जीवन और संस्कृति को दर्शाया जाता है। यह पेंटिंग झारखंड भवन की दीवारों और अन्य सतहों पर सजावट के रूप में इस्तेमाल की गई है, जिससे भवन को एक अनूठा और सांस्कृतिक रूप मिला है। इस भवन का 110 फीट को ऊंचाई पर 70×44 फीट बड़ी सोहराई पेंटिंग है सबसे खास।
40 कलाकारों ने मिलकर भवन के अंदर 200 पेंटिंग का निर्माण किया है। रांची के मशहूर चित्रकार धनंजय ने अपनी चित्रकला से सजाई नई भवन। उन्होंने बताया को इस भवन को आधुनिकता और परंपरा दोनो का सम्मिश्रण है।
इस भवन के बाहरी पेंटिंग को बनने में उन्हें 20 दिन का समय लगा था । यह पेंटिंग 110 फीट की ऊंचाई पर है और इस पेंटिंग को दूर से भी देखी जा सकती है ।वही इस भवन के अंदर लगभग 200 से अधिक पेंटिंग लगाई गई है और इस सबको बनने में करीब डेढ़ महीने का समय लगा है।और इसमें 40 कलाकार शामिल है।
वही धनंजय ने बताया की उनका बनया हुआ पेंटिग झारखंड हाई कोर्ट, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजकीय म्यूजियम और भी कई जगह पर लगी है।सोहराई पेंटिंग की विशेषता इसकी सुंदरता, रंगों की जीवंतता, और आदिवासी जीवन की कहानियों को चित्रित करने की क्षमता में है।
यह पेंटिंग झारखंड भवन की दीवारों और अन्य सतहों पर सजावट के रूप में इस्तेमाल की गई है, जिससे भवन को एक अनूठा और सांस्कृतिक रूप मिला है। सोहराई पेंटिंग की विशेषता इसकी सुंदरता, रंगों की जीवंतता, और आदिवासी जीवन की कहानियों को चित्रित करने की क्षमता में है।