रांची, 08 मई 2025: यूनिसेफ झारखंड और नव भारत जागृति केंद्र (NBJK) द्वारा संचालित बाल रिपोर्टर कार्यक्रम के तहत रांची के 10 सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने समाहरणालय स्थित कॉन्फ्रेंस कक्ष में उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजंत्री से सीधी बातचीत की। इस संवाद सत्र का उद्देश्य बच्चों की आवाज़ को प्रशासन तक पहुँचाना और उन्हें नीति-निर्माण की प्रक्रिया से परिचित कराना था।
बदलाव की कहानियां, बच्चों की ज़ुबानी
इस अवसर पर बाल रिपोर्टरों ने उन प्रयासों की जानकारी साझा की जो उन्होंने अपने समुदाय में किए हैं, जैसे कि स्कूल ड्रॉपआउट छात्रों को दोबारा नामांकित कराना, लैंगिक भेदभाव को चुनौती देना और स्कूल परिसर के पास अवैध शराब विक्रेताओं को हटाने के लिए समुदाय को एकजुट करना।

प्रभावी संवाद: कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा
बच्चों ने बताया कि उनकी सामूहिक पहल से सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना में एक अहम बदलाव लाया गया, जिससे बालिकाओं को शिक्षा हेतु वित्तीय सहायता मिल सकी। इसके अलावा, स्कूलों की दीवारों की कमी, क्षतिग्रस्त भवनों और असुरक्षित रास्तों जैसे जमीनी मुद्दों को भी उन्होंने उठाया, जिस पर उपायुक्त ने संज्ञान लेते हुए संबंधित विभाग को आवश्यक निर्देश दिए।
उपायुक्त ने साझा किया प्रशासन का कार्यप्रणाली
उपायुक्त श्री भजंत्री ने बच्चों को जिला प्रशासन के कामकाज की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि प्रशासन कानून-व्यवस्था बनाए रखने, कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और नागरिक सेवा वितरण में कैसे कार्य करता है। बच्चों ने कई विचारशील सवाल पूछे जिनका उपायुक्त ने गंभीरता से जवाब दिया।
आईएएस बनने की राह पर सुझाव
बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए उपायुक्त ने कहा कि दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास और निरंतर अध्ययन के बल पर कोई भी छात्र आईएएस अधिकारी बन सकता है। उन्होंने ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि संसाधनों की कमी बाधा नहीं बननी चाहिए।
सकारात्मक सोच और अच्छे मित्र चुनने की सीख
उपायुक्त ने बच्चों से आग्रह किया कि वे जीवन में सकारात्मक सोच रखें, गलत संगत से दूर रहें और ऐसे मित्र बनाएं जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने मोबाइल के सीमित उपयोग, पौष्टिक आहार और सामान्य ज्ञान पर फोकस करने की सलाह भी दी।
समाहरणालय भ्रमण से बढ़ा बच्चों का अनुभव
बच्चों को जिला समाज कल्याण पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षक ने समाहरणालय का भ्रमण कराया और बताया कि विभिन्न सरकारी विभाग किस तरह कार्य करते हैं। यह संवाद सत्र बच्चों और प्रशासन के बीच बेहतर समझ विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।
यूनिसेफ की ओर से सराहना
यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ आस्था अलंग ने कहा कि “बच्चों की आवाज़ समाज में बदलाव लाने में बेहद प्रभावशाली होती है। यह कार्यक्रम सुनिश्चित करता है कि नीति-निर्माताओं तक बच्चों की बात पहुँचे।”
बैठक में प्रमुख अधिकारी रहे मौजूद
कार्यक्रम में यूनिसेफ की प्रीति श्रीवास्तव (बाल संरक्षण विशेषज्ञ), राजेश झा (संचार सलाहकार), देबांजलि मंडल (ज्ञान प्रबंधन सलाहकार) और NBJK के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।