Rath Yatra 2025 – खरसावां, झारखंड:
झारखंड के खरसावां जिले के हरिभंजा गांव में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा 27 जून को पारंपरिक धूमधाम से निकाली जाएगी। रथयात्रा से एक दिन पहले आज नेत्रोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। करीब 250 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आज भी वैसी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जाती है।
17वीं सदी से चल रही परंपरा
इस रथयात्रा की शुरुआत सिंहदेव वंश के जमींदारों द्वारा की गई थी, जिन्होंने 17वीं सदी में जगन्नाथ मंदिर की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, माता सुभद्रा और सुदर्शन की पूजा विशेष विधि-विधान से होती आ रही है।
पुरी की परंपरा पर आधारित अनुष्ठान
हरिभंजा में रथयात्रा के दौरान पुरी (ओडिशा) की तर्ज पर धार्मिक कार्यक्रम और रस्में आयोजित की जाती हैं। इन पारंपरिक अनुष्ठानों को देखने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु हर वर्ष यहां पहुंचते हैं।
“छेरा-पंहरा” से होती है यात्रा की शुरुआत
पुरी की तरह ही यहां भी “छेरा-पंहरा” रस्म का विशेष महत्व है। इसमें गांव के जमींदार विद्या विनोद सिंहदेव चंदन जल छिड़कते हुए झाड़ू लगाते हैं। यह रस्म प्रभु के प्रति सेवा भावना को दर्शाती है। इसके बाद “पोहंडी विधि” के तहत भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को झुलाते हुए मंदिर से रथ तक लाया जाता है।

भक्ति संकीर्तन और घंटवाल दल
रथ के आगे-आगे संकीर्तन मंडली और घंटवाल दल चलते हैं जो ओडिशा से विशेष रूप से बुलाए जाते हैं। लगभग 50 सदस्यीय यह दल भजन-कीर्तन के माध्यम से माहौल को भक्ति रस में डुबो देता है।
कलिंग शैली में बना नवनिर्मित मंदिर
हरिभंजा में स्थित जगन्नाथ मंदिर, जो 2015 में ओडिशा के शिल्पकारों द्वारा कलिंग स्थापत्य शैली में पुनर्निर्मित किया गया था, भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंदिर की दीवारों पर भगवान विष्णु के दशावतार, द्वारपाल जय-विजय और दस दिग्पालों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।