रांची। झारखंड के कई जिलों में माइनिंग प्लान का उल्लंघन करने वाले लीजधारकों पर कार्रवाई न करने से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है। महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साहिबगंज, पाकुड़ और धनबाद के 21 लीजधारकों ने तय सीमा से कहीं ज्यादा खनिज का उत्खनन किया, लेकिन जिला खनन पदाधिकारियों (DMO) ने उन पर नियमानुसार दंड नहीं लगाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन लीजधारकों ने माइनिंग प्लान में तय मात्रा से दो गुना से ज्यादा खनिज निकाला, जिससे सरकार को कुल ₹203.36 करोड़ का नुकसान हुआ।
जिला वार खनन का विवरण
जिला | खनिज | लीजधारक | निर्धारित मात्रा | निकाली गई मात्रा |
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साहिबगंज | स्टोन | 08 | 13.96 लाख क्यूबिक मीटर | 23.23 लाख क्यूबिक मीटर |
पाकुड़ | स्टोन | 12 | 20.23 लाख क्यूबिक मीटर | 43.38 लाख क्यूबिक मीटर |
धनबाद | बालू | 01 | 3.22 लाख क्यूबिक मीटर | 3.43 लाख क्यूबिक मीटर |
साहिबगंज में 58 करोड़ का नुकसान
साहिबगंज जिले में 8 स्टोन लीजधारकों को 13.96 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर निकालने की अनुमति थी, लेकिन उन्होंने 23.23 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर का उत्खनन किया। इस पर लगभग ₹58 करोड़ का जुर्माना बनता था, जो वसूला नहीं गया।
पाकुड़ में 144.91 करोड़ का नुकसान
पाकुड़ के 12 लीजधारकों ने तय 20.23 लाख क्यूबिक मीटर की जगह 43.38 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर निकाला। इससे 23.15 लाख क्यूबिक मीटर ज्यादा पत्थर का उत्खनन हुआ और ₹144.91 करोड़ का जुर्माना नहीं लगाया गया।
धनबाद में 45 लाख की वसूली नहीं
धनबाद के एक लीजधारक ने स्वीकृत 3.22 लाख क्यूबिक मीटर की जगह 3.43 लाख क्यूबिक मीटर बालू निकाला। इस पर ₹45 लाख का जुर्माना बनता था, जो वसूला नहीं गया।
नियम क्या कहते हैं?
राज्य के खनन नियमों के अनुसार, निर्धारित सीमा से अधिक खनिज निकालने पर अतिरिक्त मात्रा के मूल्य के बराबर दंड वसूला जाना चाहिए। लेकिन संबंधित जिला खनन पदाधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की, जिससे सरकार को करोड़ों का सीधा नुकसान उठाना पड़ा।