आखिर पंजाब में क्यों मची तबाही? नदी का रौद्र रूप देखकर हो जाएंगे हैरान।

आखिर पंजाब में क्यों मची तबाही? नदी का रौद्र रूप देखकर हो जाएंगे हैरान।

पंजाब जिसे भारत की अनाज की कोठी कहा जाता है, नाम सुनते ही आँखों के सामने हरे-भरे खेत, सरसों के फूल, पाँच नदियां सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम की धरती, गीदड़-धुनिया की गूँज गुरुद्वारों की शांति, और ‘अन्नदाता’ किसानों की मेहनत का चित्र खिंच जाता है।
लेकिन वही नदियाँ जब उफान पर आती हैं, तो रौद्र रूप ले लेती हैं। और इस बार ऐसा ही हुआ।
पंजाब में पहली बार बाढ़ 1988 में आई थी जिसने तबाही मचाई थी, और अब यानी 4 दशक के बाद पंजाब में फिर तबाही मची हुई है।

पिछले दिनों पंजाब के कई जिलों ने बाढ़ का कहर देखा। अचानक हुई भारी बारिश और हिमाचल प्रदेश के बांधों से छोड़े गए पानी ने सतलुज और ब्यास नदियों का जलस्तर इतना बढ़ा दिया कि गाँव दर गाँव पानी में डूब गया।
कई जिलों जैसे होशियारपुर, फिरोजपुर, कपूरथला और जालंधर के निचले इलाके प्रभावित हुए। गांवों में पानी भर गया,खेत बर्बाद हुए, सड़कों पर नदी बहने लगी, घरों में पानी घुसा और लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए।

सोशल मीडिया पर इस दौरान कई तरह के वीडियो और तस्वीरें वायरल हुईं। कुछ असली थीं, लेकिन कई भ्रामक भी। जैसे पुराने बाढ़ के वीडियो पंजाब के नाम पर फैलाए गए, लोगों ने कहा कि पूरा पंजाब डूब गया है, कहीं दावा किया गया कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे थोड़ी अलग थी।
हाँ, हालात गंभीर थे, कई जिले प्रभावित हुए, लेकिन पंजाब ‘पूरी तरह’ बर्बाद नहीं हुआ।
आइए, इस कहानी में सच्चाई और अफवाह के बीच के फर्क को साफ करते हैं।

अब सवाल उठता है कि मदद किसने की? सबसे पहले मैदान में उतरी NDRF यानी National Disaster Response Force। उन्होंने नावों और मोटर बोट्स के जरिए हज़ारों लोगों को सुरक्षित निकाला।

SDRF यानी State Disaster Response Force ने भी राज्य स्तर पर लगातार रेस्क्यू और राहत का काम किया।
राज्य सरकार ने SDRF की टीमों को सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों जैसे होशियारपुर, कपूरथला और फिरोजपुर में तैनात किया। राहत सामग्री बाँटी गई, मेडिकल टीमें भेजी गईं।

फिर CRPF—Central Reserve Police Force—अक्सर लोग समझते हैं कि CRPF सिर्फ नक्सल इलाकों या दंगों में काम करती है, लेकिन सच्चाई यह है कि आपदा के समय भी इनके जवान राहत कार्य में उतरते हैं।पंजाब की बाढ़ में CRPF के जवान नाव लेकर गाँव-गाँव पहुँचे, बुज़ुर्गों को कंधे पर उठाकर सुरक्षित जगह पहुँचाया। बच्चों को ट्रैक्टर और नावों से बाहर निकाला। कई जगह मेडिकल कैम्प लगाए, दवाइयाँ बाँटीं। ने भी बचाव कार्य में हिस्सा लिया।

भारतीय सेना और वायुसेना की भूमिका भी बेहद अहम रही। ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में टेंट और राहत कैंप बनाए, वहीं एयरफोर्स ने हेलिकॉप्टर से दवाइयाँ और खाने-पीने का सामान गिराया। कई लोग जो घरों की छतों पर फंसे थे, उन्हें एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।

पंजाब पुलिस ने ट्रैफिक रूट मैनेज किया, ताकि राहत सामग्री समय पर गाँवों तक पहुँच सके। साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों का खंडन भी किया।

पंजाब की इस आपदा में सिर्फ सरकार और सेना ही नहीं, बल्कि कई बड़े नाम भी आगे आए।
दिलजीत दोसांझ ने दस गाँवों को गोद लेकर राहत और पुनर्वास का जिम्मा उठाया, वहीं अमी विर्क ने दो सौ परिवारों की देखभाल की जिम्मेदारी ली। सोनू सूद ने अपनी चैरिटी फाउंडेशन के ज़रिए हेल्पलाइन शुरू की और ज़मीनी स्तर पर मदद पहुँचाई।

संजय दत्त ने खुलकर समर्थन दिया, जबकि सतींदर सरताज ने अपना जन्मदिन सेवा को समर्पित कर दिया। गिप्पी ग्रेवाल ने बाढ़ में फंसे पशुओं के लिए चारा भेजा और करन औजला ने मोटरबोट उपलब्ध कराई ताकि लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।

गुरदास मान ने सीएम रिलीफ फंड और मेडिकल किट्स में लाखों की मदद दी, वहीं जसबीर जस्सी ने सलमान खान और संजय दत्त जैसे सितारों से सहयोग की अपील की। गुरु रंधावा ने राहत कोष बनाया और कई पंजाबी गायकों, सुनीदा शर्मा, रंजीत बावा, बब्बू मान, अर्जन ढिल्लों, ने भी सक्रिय रूप से योगदान दिया।

इन सब के बीच पंजाब की असली ताक़त निकले स्थानीय लोग, गुरुद्वारे और नौजवान। गुरुद्वारों ने ‘लंगर सेवा’ शुरू की और हज़ारों लोगों तक गर्म खाना और साफ पानी पहुँचाया।
नौजवान जत्थों ने अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियाँ और नावें राहत कार्य में लगा दीं। किसी ने कपड़े बाँटे, किसी ने दवाइयाँ, किसी ने दूध और राशन।
यही है पंजाब की पहचान—मदद का हाथ सबसे पहले खुद लोग बढ़ाते हैं।

अब ज़रा सरकार की ओर देखें, तो पंजाब सरकार ने प्रभावित जिलों में राहत पैकेज और मुआवज़े की घोषणा की। जिन किसानों की फसलें बर्बाद हुईं, उन्हें मदद देने की बात कही गई। राहत शिविरों में पानी, खाना और दवाइयों की व्यवस्था की गई। केंद्र सरकार ने भी NDRF की अतिरिक्त टीमें भेजीं और राज्यों को वित्तीय मदद देने का भरोसा दिया।

अब आते हैं सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों पर। बहुत से वीडियो ऐसे बताए गए जो असल में पुराने थे या किसी दूसरे राज्य के थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें और वीडियो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि बिना जाँचे-परखे किसी भी खबर को फैलाना कितना खतरनाक हो सकता है। कई लोग जो पहले से ही बाढ़ की मार झेल रहे थे, उन्हें अफवाहों ने और डरा दिया।

हाँ, हालात गंभीर थे, लेकिन पंजाब ‘पूरी तरह डूब गया’—ये सच नहीं था।
पंजाब ने बाढ़ का संकट झेला, हज़ारों लोग प्रभावित हुए, फसलें और घर बर्बाद हुए। लेकिन ये भी सच है कि प्रशासन, सेना, NDRF, CRPF, SDRF और स्थानीय लोगों की मेहनत ने हालात को काबू में किया। और धीरे-धीरे जीवन पटरी पर लौट रहा है।

अब बात करते हैं पंजाब की असली पहचान की। ये धरती सिर्फ पाँच नदियों की नहीं है, बल्कि भाईचारे, मदद और इंसानियत की भी है। जब-जब संकट आया है, पंजाब ने साबित किया है कि यहाँ के लोग मुश्किल से डरते नहीं, डटकर खड़े होते हैं।

तो अगली बार जब आप बाढ़ की कोई तस्वीर या वायरल देखें, उसे तुरंत शेयर करने से पहले सोचें, जांचे। सच और झूठ में फर्क करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है। क्योंकि एक झूठी फोटो किसी परिवार की तकलीफ़ को और बढ़ा सकती है।

पंजाब ने हमेशा दिखाया है कि मुश्किल वक्त में कैसे सब एकजुट होकर खड़े होते हैं। बाढ़ आई, लेकिन इंसानियत की लहर उससे कहीं ज़्यादा बड़ी निकली।

और यही पंजाब की असली पहचान है—बाढ़ बहा ले जाती है, लेकिन इंसानियत की लहर और मज़बूत इरादे हर आपदा से बड़ी होती हैं।

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