रांची: झारखंड के वीर सपूत और स्वतंत्रता संग्राम के जननायक धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि पर राज्यभर में श्रद्धा के साथ उन्हें याद किया गया। राज्यपाल संतोष गंगवार ने सोमवार को बिरसा चौक और राजभवन परिसर में स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जीवन त्याग, साहस और सामाजिक संघर्ष का प्रतीक है। उनके विचार और कार्य हमेशा से युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं और आगे भी पथप्रदर्शक बने रहेंगे।

धरती आबा को राज्यपाल का नमन
राज्यपाल ने भगवान बिरसा मुंडा को नमन करते हुए कहा,
“स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और झारखंड की माटी के वीर सपूत, धरती आबा बिरसा मुंडा को पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन। उनका अदम्य साहस और समाज के लिए समर्पण सदैव स्मरणीय रहेगा।”
भगवान बिरसा मुंडा: उलगुलान के प्रतीक पुरुष
आज ही के दिन, 9 जून 1900, को रांची जेल में भगवान बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी। महज 25 वर्ष की उम्र में, उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह कर उन्हें झुकने पर मजबूर कर दिया था।
उनका आंदोलन, जिसे “उलगुलान” कहा जाता है, आज भी आदिवासी अस्मिता और स्वाभिमान का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना को एक नई दिशा दी।
125वीं पुण्यतिथि पर राज्यभर में कार्यक्रम
भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि पर झारखंड के विभिन्न जिलों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विद्यालयों, संस्थानों और सामाजिक संगठनों द्वारा श्रद्धांजलि सभाएं एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। रांची के बिरसा चौक पर श्रद्धांजलि देने के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।