चतरा, झारखंड | भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में आखिरकार 24 साल बाद न्याय हुआ। चतरा के तत्कालीन अंचलाधिकारी (सीओ) राजबल्लभ सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा और ₹5,000 का जुर्माना लगाया गया है। यह फैसला एडीजे-2 सह एसीबी विशेष न्यायाधीश आशा देवी भट्ट की अदालत ने सुनाया।
क्या था मामला?
साल 2001 में चतरा में पदस्थापन के दौरान सीओ राजबल्लभ सिंह पर दाखिल-खारिज से संबंधित मामले में ₹2,000 की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। एसीबी ने उन्हें उनके आवास पर रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इस संबंध में रांची एसीबी थाने में कांड संख्या 17/2001 दर्ज की गई थी।
कोर्ट में पेश हुए सात गवाह
मामले की सुनवाई के दौरान सात गवाहों के बयान और मजबूत साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया। अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत तीन साल की सजा, और धारा 13(2) के तहत एक साल की सजा सुनाई है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। साथ ही ₹5,000 का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे अदा नहीं करने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
कोर्ट में रो पड़े राजबल्लभ सिंह
सजा सुनाए जाने के बाद राजबल्लभ सिंह की आंखों में आंसू आ गए। यह भी उल्लेखनीय है कि 24 सालों में उन्हें कोई पदोन्नति नहीं मिली और वे सीओ पद से ही सेवानिवृत्त हुए।
कोर्ट ने क्या कहा?
सरकारी अभियोजक अनुराग सिंह ने कोर्ट में बहस करते हुए इसे एक गंभीर सरकारी अपराध बताया और कहा कि सेवा में रहते हुए इस तरह की रिश्वतखोरी पर कठोर संदेश जरूरी है। वहीं, दोषी के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में अपील की बात कही, जिसके बाद अदालत ने जमानत भी प्रदान की।
शिकायतकर्ता का बयान
इस कार्रवाई को लेकर शिकायतकर्ता विजय राम ने कहा, “न्याय तो मिला, लेकिन देर से मिला। अगर ये फैसला सेवा काल में आता, तो इसका बड़ा संदेश जाता।”