“बाबा साहब के विचार को आत्मसात करके हम भारत का संपूर्ण निर्माण कर सकते हैं। हमें बाबा साहब के पदचिन्ह पर चलकर ज्ञानार्जन करके देश के प्रति समर्पित भाव से सेवा करनी चाहिए। वह हम सबके बाबा साहब हैं जो हर जाति, धर्म और लैंगिक समानता की बात करते हैं। यह विचार भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती पर सीयूजे के कुलपति, प्रो. क्षिति भूषण दास ने रखी।

सीयूजे में डॉ अंबेडकर के जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करके विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों में बाबा साहब की योगदान की चर्चा की गई। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव, श्री के. कोसल राव ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि हमें बाबा साहब के जीवन से सीख लेकर उनके तीन मूलमंत्र को याद रखना चाहिए: शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो। उन्होंने महापुरुषों के विचारों को बढ़ाने में सीयूजे की कटिबद्धता को दोहराया।

इस कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. प्रतिभा वरवड़े, सहायक प्राध्यापक, सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने बाबा साहब की जीवनी से परिचय कराया। कार्यक्रम में आगे बाबा साहब का संविधान सभा में दिया गया उद्बोधन उनके अपनी आवाज में सुनाया गया जिसमें भारत को मजबूत करने और एकता की बात की गई है। साथ ही प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी के द्वारा डॉ अंबेडकर के सम्मान में पंचतीर्थ बनाए जाने संबंधित वीडियो भी दिखाया गया। कार्यक्रम में नैक अध्यक्ष, प्रो कुंज बिहारी पंडा, परीक्षा नियंत्रक, श्री बी बी मिश्रा, प्रो. पी के परिदा, डॉ अमरेंद्र कुमार, डॉ सुदर्शन यादव, डॉ संहिता सुचरिता और अन्य मौजूद थे। कार्यक्रम का संयोजन, डीन, छात्र कल्याण, डॉ अनुराग लिंडा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ रमेश उरांव ने किया।