हाईकोर्ट ने संथाल परगना में घुसपैठ के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से रिपोर्ट मांगी है। कल झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा की इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की झारखंड में आदिवासी आबादी की जनसंख्या में कमी हुई है। यह कदम उन शिकायतों के बाद उठाया गया है जिनमें बताया गया है कि क्षेत्र में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है। वही इसको लेकर हाईकोर्ट ने राज्य में घुसपैठ के आरोप के साथ स्थानीय आबादी पर इसके प्रभाव के लेकर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए केंद्रीय और राज्य अधिकारियों की एक साथ गठन का आदेश दिया है।
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और अरुण कुमार राय में ये आरोप लगाया गया था की बंगलादेश से अवैध संथाल परगना क्षेत्र में सीमाओं के माध्यम से झारखंड में प्रवेश कर रहे है और स्वदेशी आबादी को प्रभावती कर रहे है।
इस मौके पर अदालत ने बताया की इन सारी बातों पर विवाद नहीं किया जा सकता की झारखंड का निर्माण 15 नवंबर 2000 को केंद्रीय कानून द्वारा निर्णय लिया गया था की झारखंड की ज्यादा तर आबादी आदिवासी की है।
साथ ही साथ ये भी बता दे की हाइकोर्ट इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि झारखंड में आदिवास आबादी की जनसंख्या में कामी आई है।
वही यह एक याचिका में आरोप लगाया गया था की अवैध अप्रवासी संथाल परगना क्षेत्र बनाने वाले इलाकों में साहेबगंज, पाकुड़ , जामताड़ा,दुमका और गोड्डा जिलों में आकर बस रहे है।
यह कदम उन शिकायतों के बाद उठाया गया है जिनमें बताया गया है कि क्षेत्र में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे स्थानीय लोगों की समस्याएं बढ़ रही हैं। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि समिति इस मुद्दे की गहराई से