रांची, 6 मई 2025:
झारखंड के कोल्हान प्रमंडल स्थित चाईबासा जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के जियोलॉजिकल म्यूजियम (Geological Museum) का गवाह बनने जा रहा है। यह संग्रहालय न केवल करोड़ों वर्ष पुराने जीवाश्मों और पत्थरों के संरक्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि राज्य के पर्यटन और वैश्विक पहचान को भी नया मुकाम देगा।
विदेशी तकनीक और अनुभव से बनेगा म्यूजियम
राज्य के उद्योग सचिव अरवा राजकमल ने रांची में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि म्यूजियम का निर्माण विश्व स्तरीय तकनीक और डिजाइन से किया जाएगा, जिसमें विदेशी विशेषज्ञों और संस्थानों से सहयोग की संभावना जताई गई है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की हालिया स्पेन और स्वीडन यात्रा के दौरान इस विचार को मजबूती मिली। दौरे के दौरान उन्होंने स्पेन के गावा म्यूजियम (Gavà Museum, Barcelona) का निरीक्षण किया, जो एक पुराने खनन क्षेत्र को जियोलॉजिकल संग्रहालय में बदलकर बनाया गया है। इस अनुभव से प्रेरित होकर चाईबासा में भी इसी मॉडल पर काम करने की योजना बन रही है।

कोल्हान: धरती का पहला उभरा हिस्सा
वैज्ञानिक अनुसंधानों के मुताबिक, कोल्हान क्षेत्र संभवतः धरती का वह पहला हिस्सा है, जो करोड़ों साल पहले समुद्र के पानी से बाहर आया था। इस क्षेत्र में आज भी प्राचीन चट्टानें और जीवाश्म मिलते हैं, जो पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास के अहम गवाह हैं।
खनन गतिविधियों के दौरान इन दुर्लभ अवशेषों का मिलना इस बात का प्रमाण है कि कोल्हान क्षेत्र भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध है। इन्हीं अवशेषों को संरक्षित करने के उद्देश्य से चाईबासा में इस जियोलॉजिकल म्यूजियम का प्रस्ताव रखा गया है।

पर्यटन और शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा
इस पहल से न केवल शोध और संरक्षण को गति मिलेगी, बल्कि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों, शोधार्थियों और छात्रों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र बनेगा। राज्य सरकार का मानना है कि इससे झारखंड के भूगर्भीय और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिलेगी।