झारखंड में शराब के दुकान कारोबार को एक बार फिर निजी हाथों में सौंपने की योजना बनाई जा रही है।

झारखंड में शराब के दुकान कारोबार को एक बार फिर निजी हाथों में सौंपने की योजना बनाई जा रही है।

झारखंड में शराब के दुकान कारोबार को एक बार फिर निजी हाथों में सौंपने की योजना बनाई जा रही है।
इसमें शराब की खुदरा दुकानें निजी हाथों में दी जाएगी।इसकी नियमावली उत्पाद एवं मघ निषेध विभाग ने कर लिया है।इसकी नियमावली को लेकर राजस्व विधि और वित्त विभाग को भेजी गई है। इसके बाद तीनो जगहों से सहमती है मिलने के बाद इसे केबिनेट में भेजा जाएगा।
वही बता दे की अगर इसकी मंजूरी वाह से मिलती है तो नई उत्पाद नीति लागू हो जाएगी। वैसे अभी तक ये तय नहीं है की यह इसी साल से लागू होगा या फिर आने वाले साल से होगा।

आचार संहिता लगने के कारण रूक सकता है मामला।

कुछ ही दिनों में चुनाव आचार संहिता लागू होने वाला है और ऐसे में ये मामला रूक सकता है। ऐसे में इससे लागू करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ सकती है।वही इसकी थोक व्यवसाय सरकार के पास ही रहेगा।

इस समस्या को लेकर बैजनाथ राम ने कहा ।

बता दे की कुछ समस्याओं को जानकारी मायने के बाद विभागीय मंत्री बैजनाथ राम एनआर विभाग को नीति की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद इसको लेकर अमित प्रकाश ने एक कमेटी बनाई।इस संयुक्त उत्पाद आयुक्त में गजेंद्र कुमार सिंह, झारखंड राज्य विबरेंज कॉरपोरेशन लिमिटेड के जीएम रजनीश, जीएम सुधीर कुमार दस, रांची के उत्पाद आयुक्त राकेश कुमार और उत्पाद कार्यलय उतरी छोटानागपुर प्रमंडल, हजारीबाग के प्रभारी उपायुक्त को सदस्य बनाए गया था।
वही इसको लेकर कमेटी से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गई थी।इसके बाद कमेटी ने विभागिय की सचिव को रिपोर्ट सौंपी। जिसके बाद नियमावली बनाई गई है।

झारखंड में शराब का दुकान कारोबार एक बार फिर निजी हाथों में देने का निर्णय राज्य सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीति का हिस्सा है। यह नीति आने वाले समय में शराब कारोबार के स्वरूप को बदल सकती है, लेकिन इसके प्रभावों का सही आकलन करना आवश्यक होगा।

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