झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: बिना प्रश्नपत्र और कॉपी के संपन्न हुई प्राथमिक स्कूलों की वार्षिक परीक्षा |

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: बिना प्रश्नपत्र और कॉपी के संपन्न हुई प्राथमिक स्कूलों की वार्षिक परीक्षा |

रांची: झारखंड में प्राथमिक विद्यालयों की वार्षिक परीक्षा (योगात्मक मूल्यांकन 2) बिना प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका के संपन्न हो गई। इससे राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

शिक्षा के स्तर को सुधारने के दावे, लेकिन हकीकत कुछ और

मुख्यमंत्री झारखंड में शिक्षा को बेहतर बनाने के दावे करते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही उनकी मंशा पर सवाल खड़े कर रही है। 19 मार्च को संपन्न हुई प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 7) की वार्षिक परीक्षा में छात्रों को प्रश्नपत्र और कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई

सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि बिना किसी विरोध या हंगामे के परीक्षा संपन्न हो गई, जिससे स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग में शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक लापरवाही और कुप्रबंधन बना हुआ है

ब्लैकबोर्ड पर लिखे गए प्रश्नपत्र, छात्र लाए अपनी कॉपी

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने परीक्षा लेने वाले शिक्षकों को निर्देश दिया कि प्रश्नपत्र छपवाने में असमर्थता के कारण उन्हें ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखना होगा। शिक्षकों को व्हाट्सएप के माध्यम से प्रश्नपत्र भेजे गए, जिसके बाद उन्होंने कक्षाओं में ब्लैकबोर्ड पर लिखकर परीक्षा कराई।

इतना ही नहीं, छात्रों को उत्तर पुस्तिका भी नहीं दी गई। पहले से ही निर्देश दिया गया था कि वे अपनी कॉपी घर से लेकर आएं। लेकिन कई गरीब छात्र कॉपी नहीं ला सके, जिसके कारण शिक्षकों ने स्वयं उनकी व्यवस्था की।

झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ की नाराजगी

झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू और महासचिव बलजीत कुमार सिंह ने इस स्थिति पर नाराजगी जाहिर की और सरकार से अपील की कि शिक्षा की बुनियादी आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाए

उन्होंने कहा कि,
“सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद बुनियादी सुविधाएं नहीं दे पा रही है। सरकार को इसकी गंभीरता से जांच करनी चाहिए कि आखिरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो पा रहा है?”

प्रश्नपत्र और कॉपी नहीं देने का कारण?

झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा हर वर्ष वार्षिक परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका उपलब्ध कराई जाती थी, लेकिन इस बार 2024-25 के शैक्षणिक वर्ष में इसे रोक दिया गया

इसके बदले JGURUJI ऐप और व्हाट्सएप पर प्रश्नपत्र भेज दिया गया, जिससे शिक्षकों को स्थानीय स्तर पर प्रिंटिंग का खर्च स्वयं वहन करना पड़ा। ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती और संसाधनों की कमी के कारण कई जगह प्रश्नपत्र समय पर नहीं मिल सके, जिससे परीक्षा की गोपनीयता भी प्रभावित हुई

शिक्षकों की मांग: मूलभूत सुविधाएं प्रदान करे सरकार

शिक्षकों ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए सरकार से मांग की है कि अगली परीक्षा के लिए प्रिंटेड प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार को एनजीओ और अन्य कार्यक्रमों पर पैसा खर्च करने के बजाय शिक्षा की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए

निष्कर्ष

झारखंड में बिना प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका के परीक्षा आयोजित होना शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। सरकार को इस पर तत्काल संज्ञान लेकर आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में छात्रों को इस तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े

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