Ranchi News: झारखंड में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव (नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद) निकट भविष्य में होने की संभावना कम दिखाई दे रही है। झारखंड हाईकोर्ट द्वारा चुनाव कराने का निर्देश और नए राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के बावजूद कई कानूनी व प्रशासनिक बाधाओं के कारण चुनाव की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।
SIR बना सबसे बड़ी बाधा
चुनाव आयोग ने हाल ही में देशभर में Special Intensive Revision (SIR) की प्रक्रिया शुरू करने का संकेत दिया है। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए की जाती है। आयोग ने बताया है कि SIR का काम अक्टूबर-नवंबर से शुरू होगा।
झारखंड में भी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए इसी संशोधित मतदाता सूची का इस्तेमाल होना है। जब तक नई सूची प्रकाशित नहीं होती, तब तक चुनाव की घोषणा संभव नहीं है।
OBC आरक्षण पर अटका मामला
दूसरी बड़ी बाधा पिछड़ा वर्ग (OBC) को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण देने से जुड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार केस में स्पष्ट किया था कि OBC आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
इसमें तीन बिंदु शामिल हैं –
- पिछड़े वर्ग की राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी का आंकलन
- स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग की भागीदारी का मूल्यांकन
- कुल आरक्षण सीमा (SC, ST और OBC) 50% से अधिक न हो
झारखंड सरकार ने काफी देर से ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया शुरू की और इसे राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंपा। आयोग ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन राजनीतिक दलों की आपत्तियों के चलते अब तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
हाईकोर्ट का दबाव
स्थानीय निकाय चुनाव में हो रही देरी को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हुई थीं। कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए चुनाव जल्द कराने को कहा। यहां तक कि आदेश का पालन न करने पर अदालत ने मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब किया।
इसके बाद पूर्व मुख्य सचिव अलका तिवारी को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया। अब राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने के लिए मतदाता सूची और आरक्षण से जुड़े कानूनी प्रावधान पूरे होने का इंतजार है।
नतीजा – जल्द चुनाव मुश्किल
इन परिस्थितियों को देखते हुए यह साफ है कि झारखंड में स्थानीय निकाय चुनाव नजदीकी समय में होना मुश्किल है। जब तक SIR प्रक्रिया पूरी नहीं होती और OBC आरक्षण पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक चुनाव की घोषणा अधर में ही लटकी रहेगी।

