झारखंड विधानसभा का तीसरा दिन: किसान मुद्दे और विपक्ष-सरकार टकराव पर टिकी निगाहें

झारखंड विधानसभा का तीसरा दिन: किसान मुद्दे और विपक्ष-सरकार टकराव पर टिकी निगाहें

Ranchi: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को तीसरे दिन प्रवेश कर गया है। आज का दिन किसानों की समस्याओं और हाल की अतिवृष्टि से हुए नुकसान को लेकर बेहद अहम माना जा रहा है। भारी बारिश और बाढ़ से धान, सब्जी और फल की फसलें चौपट हो चुकी हैं। कई जिलों में खेत जलमग्न हैं, ग्रामीणों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं और मवेशियों को भी बड़ा नुकसान हुआ है। ऐसे हालात में किसानों को राहत और मुआवज़ा देने को लेकर सरकार की नीति पर सबकी निगाहें टिकी हैं।


विपक्ष का आक्रामक तेवर

विपक्षी दल भाजपा और आजसू किसानों की बदहाली को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। इसके अलावा पूर्व भाजपा नेता सूर्या हांसदा की संदिग्ध मौत का मुद्दा भी सदन में गूंजने की संभावना है। विपक्ष ने एक बार फिर इस मामले में CBI जांच की मांग दोहराई है। भाजपा विधायकों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया तो वे सदन की कार्यवाही बाधित करने से पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही बेरोज़गारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर भी विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा करने की योजना बना रहा है।


सत्तापक्ष का विशेष प्रस्ताव

आज का दिन सत्तापक्ष के लिए भावनात्मक भी हो सकता है। चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव सदन में लाया जाएगा। संभावना है कि सभी दल इस प्रस्ताव का समर्थन करें और इसे सर्वसम्मति से पारित किया जाए। शिबू सोरेन की झारखंड आंदोलन और राज्य निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका रही है।


राहत पैकेज पर केंद्रित होगी चर्चा

किसानों की पीड़ा को देखते हुए सबकी नज़रें सरकार की ओर से घोषित किए जाने वाले संभावित राहत पैकेज पर हैं। विपक्ष ने पहले ही आरोप लगाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग राहत कार्यों में लापरवाही बरत रहा है। ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि ठोस योजना और भरोसेमंद आश्वासन देकर किसानों को राहत पहुंचाई जा सके।


सदन में हंगामे के आसार

कुल मिलाकर, झारखंड विधानसभा का तीसरा दिन किसानों की बदहाली, अतिवृष्टि से हुए नुकसान, विपक्ष की तीखी बयानबाज़ी और सत्तापक्ष के प्रस्ताव के चलते गरमागरम और हंगामेदार रहने की संभावना है। एक ओर राहत और मुआवज़े पर गंभीर चर्चा होगी, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक टकराव और विरोध प्रदर्शनों से सदन का माहौल उग्र हो सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *