रांची। झारखंड में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली तकनीकी/विशिष्ट योग्यताधारी स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 को अचानक स्थगित किए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया है।
इस मुद्दे पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने परीक्षा रद्द होने को “युवाओं के साथ एक और विश्वासघात” करार दिया।

बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि —
“मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर झारखंड के युवाओं के साथ विश्वासघात किया है। परीक्षा से ठीक एक दिन पहले तकनीकी खामियों का बहाना बनाकर परीक्षा को स्थगित कर दिया गया। इस फैसले से हजारों अभ्यर्थियों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान हुआ है।”
मरांडी ने आगे सवाल उठाया कि —
“क्या मुख्यमंत्री के दिल्ली में होने के कारण तकनीकी सेटिंग पूरी नहीं हो सकी, या फिर परीक्षा को टालने के पीछे कोई और कारण छिपा है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षों में राज्य सरकार की नीतियों और निर्णयों से झारखंड का युवा लगातार परेशान और ठगा जा रहा है। कभी पेपर लीक, तो कभी परीक्षा रद्द होने की घटनाओं ने युवाओं के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि जब भी परीक्षा रद्द होती है, सरकार अपनी विफलता छिपाने के लिए युवाओं पर ही आरोप मढ़ देती है, जबकि असल गलती सिस्टम और सरकार की होती है।
मरांडी ने हेमंत सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि परीक्षा की नई तारीख जल्द घोषित की जाए और परीक्षा को पूर्ण पारदर्शिता के साथ आयोजित किया जाए। साथ ही, जिन अभ्यर्थियों ने आवागमन और ठहराव पर खर्च किया है, उसका वित्तीय भार सरकार को वहन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि झारखंड के युवाओं का धैर्य अब टूट रहा है, और सरकार को यह समझना होगा कि बार-बार परीक्षा स्थगित करना सिर्फ अविश्वास और आक्रोश को जन्म दे रहा है।
इस बीच, JSSC की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि परीक्षा को तकनीकी कारणों से स्थगित किया गया है और नई तिथि की घोषणा जल्द ही की जाएगी।
हालांकि, राजनीतिक गलियारों में अब यह मामला चर्चा का विषय बन गया है कि क्या परीक्षा रद्द होने के पीछे सिर्फ तकनीकी खामी थी या फिर कोई प्रशासनिक या राजनीतिक कारण भी छिपा है।

