एक देश, एक चुनाव” की अवधारणा का उद्देश्य भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही समय पर आयोजित करना है। इस नीति का मुख्य लक्ष्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और आर्थिक बनाना है।
देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन करवाने के प्रस्ताव को कल यानी 18 सितंबर 2024 को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है।बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा ।कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होंगे इसके बाद 100 दिन के भीतर दूसरे फेज में निकाय चुनाव एक साथ कराया जायेगा। 17 से सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में वन नेशन वन इलेक्शन लागू करेगी 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं।वही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी ।कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है ।ऐसे में 5 राज्य मोजरोम ,छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान,और तेलंगाना विधनसभाओ को 6 महीने का विस्तर देना जरूरी होगा। इस जगहों पर चुनाव दिसंबर 2028 में होना है।जबकि हरियाणा महाराष्ट्र, झारखंड ,जम्मू कश्मीर और दिल्ली का कार्यकाल 4 साल 4 महीने से लेकर 4 साल 7 महीनों का होगा।
इतनी जानकारी तो मिल गई अब बारी है की आखिर वन नेशन वन इलेक्शन क्यों आवश्यक है?
- खर्च में कमी:लगातार चुनावों के कारण होने वाले खर्च को कम करने के लिए। देश में चुनाव को पूर्ण तरह से करवाने में करोड़ों रुपए लगाते है।और अगर देश में वन नेशन वन इलेक्शन हुआ तो एक भी बार खर्च करना पड़ेगा।
- शासन की स्थिरता: चुनावों की निरंतरता से शासन में अस्थिरता आती है। एक ही समय पर चुनाव कराने से यह समस्या हल हो सकती है।
- चुनावी व्यवस्था की सुगमता: चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने और मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए।
देश में वन नेशन वन इलेक्शन के होने से देश को बड़ा लाभ भी होगा ।
जैसे– - आर्थिक बचत:एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक और आर्थिक संसाधनों की बचत होती है।
- समय की बचत: चुनावों में लगने वाले समय की कमी से सरकारों को अपने काम पर ध्यान देने का अधिक अवसर मिलता है।
- राजनीतिक स्थिरता: एक साथ चुनाव कराने से सरकार की स्थिरता में वृद्धि हो सकती है, जिससे विकासात्मक कार्य सुचारू रूप से चल सकते हैं।
जैसा की हम सब जानते है अगर देश में कुछ बदलाव किया जाता है या फिर कोई बड़ा बदलाव होता है तो इससे देश के लोगों को कई सारी चुनोतिओ का सामना करना पड़ता है।
चलिए जानते है की आखिर क्या है ये चुनौतियां– - संविधान में संशोधन: एक देश, एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति: विभिन्न राजनीतिक दलों का एकमत होना आवश्यक है।
- स्थानीय मुद्दों की अनदेखी:एक साथ चुनाव कराने से स्थानीय मुद्दों की उपेक्षा हो सकती है।
वही बताते चले की नरेंद्र मोदी ने भारत में 2014 में सरकार ने इस मुद्दे को बारे में बात किया था और अलग अलग समितियाँ भी गठित की गई हैं, जिनमें सिफारिशें की गई हैं कि इस नीति को कैसे लागू किया जा सकता है।
एक देश, एक चुनाव” का निर्णय भारत में एक बड़ा बदला ला शक्ति है । इससे भारत की राजनीतिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार हो सकती है। हालांकि, इसके लिए कानून में बदलाव को जरूरत होगी । इस नीति के प्रभावी कार्यान्वयन से देश में लोकतंत्र को और मजबूत किया जा सकता है।