नई दिल्ली/धनबाद:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में संशोधित झरिया मास्टर प्लान (Jharia Master Plan) को मंजूरी दे दी गई है। इस योजना पर ₹5,940.47 करोड़ का बजट तय किया गया है। इसका उद्देश्य झरिया कोयला क्षेत्र में आग, भू-धंसान और पुनर्वास जैसी गंभीर समस्याओं से स्थायी समाधान देना है।
झरिया को मिलेगा नया जीवन
धनबाद जिले का झरिया क्षेत्र वर्षों से कोयला खनन से जुड़ी आग और भू-धंसान की समस्याओं से जूझ रहा है। पहले यह योजना 2009 में 7112.11 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई थी, जिसकी अवधि 10 वर्षों की थी। अब यह संशोधित स्वरूप में दोबारा पेश की गई है, जिसमें आजीविका, पुनर्वास और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष फोकस किया गया है।

पुनर्वास और आजीविका पर रहेगा मुख्य फोकस
नई योजना के तहत प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा। साथ ही, उनके आजीविका के साधनों को मजबूत किया जाएगा। इसके लिए:
- ₹1 लाख का आजीविका अनुदान
- ₹3 लाख तक का संस्थागत ऋण (LTH व नॉन-LTH दोनों के लिए)
- कौशल विकास प्रशिक्षण एवं रोजगारपरक योजनाएं
- सड़क, बिजली, जल, सीवरेज, स्कूल, अस्पताल जैसी आधारभूत सुविधाएं
स्थायी विकास और कौशल केंद्र भी बनेंगे
पुनर्वासित क्षेत्रों में बहु-कौशल विकास संस्थानों के सहयोग से लोगों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ झरिया वैकल्पिक आजीविका पुनर्वास कोष भी बनाया जाएगा, जो विशेष रूप से आजीविका को बढ़ावा देगा।
बीसीसीएल और जेआरडीए की जिम्मेदारी तय
इस योजना के तहत अग्नि नियंत्रण की जिम्मेदारी बीसीसीएल (Bharat Coking Coal Limited) पर होगी, जबकि कोलियरी कर्मियों का पुनर्वास बीसीसीएल और गैर-कोल कर्मियों का पुनर्वास झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकरण (JRDA) द्वारा किया जाएगा।