नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। पहलगाम में हुए आतंकी हमले की चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि यह हमला पाकिस्तान की ओर से हुआ था और इसमें निर्दोष युवाओं की बेरहमी से हत्या की गई।
राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार के साथ एकजुटता दिखाई और पूरे विपक्ष ने एक स्वर में हमले की निंदा की थी। उन्होंने दावा किया कि भारतीय राष्ट्रीय गठबंधन (INDIA) के सभी वरिष्ठ नेताओं ने यह तय किया था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर किसी भी तरह की राजनीतिक छींटाकशी से परहेज किया जाएगा। “हमने सरकार का साथ दिया, पर सरकार की प्रतिक्रिया निराशाजनक रही,” उन्होंने कहा।
राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा, “सरकार ने महज 30 मिनट में पाकिस्तान को सूचित कर दिया कि हम हमला कर चुके हैं। यह तो सीधा-सीधा सरेंडर है। इससे ये साफ हो गया कि सरकार के पास इच्छाशक्ति की कमी है। सरकार ने हमारे पायलट्स को पूरी तरह से खुली छूट नहीं दी।”
राहुल गांधी ने दिवंगत सेना प्रमुख सैम मानेकशॉ और 1971 की इंदिरा गांधी सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय राजनीतिक इच्छाशक्ति स्पष्ट और मजबूत थी। “1971 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका की परवाह नहीं की और 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर करवाया। आज की सरकार में वह साहस नहीं दिखता,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे का जवाब देना चाहिए जिसमें ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया था। राहुल गांधी ने चुनौती देते हुए कहा, “अगर प्रधानमंत्री के पास इंदिरा गांधी जैसी 50% भी हिम्मत है, तो उन्हें सदन में आकर ट्रंप के दावे को झूठा ठहराना चाहिए।”
राहुल गांधी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह पहलगाम हमले में मारे गए विनय नरवाल के परिजनों से मिलने उनके घर गए थे। उन्होंने कहा कि विनय की बहन का दर्द उनकी आंखों में साफ झलक रहा था। “उसने कहा कि वह हर बार दरवाज़े की ओर देखती है, लेकिन अब उसका भाई कभी नहीं लौटेगा।”
सदन में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हमें सेना पर भरोसा है, लेकिन अगर राजनीतिक नेतृत्व कमजोर होगा, तो सेना भी बंधे हाथों से लड़ेगी। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह केवल भाषणों में नहीं, बल्कि वास्तविक रणनीति और साहस के साथ आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे।