“Ramdas Soren News: झामुमो छोड़ निर्दलीय चुनाव से लेकर तीन बार विधायक और मंत्री बनने तक का सफर”

“Ramdas Soren News: झामुमो छोड़ निर्दलीय चुनाव से लेकर तीन बार विधायक और मंत्री बनने तक का सफर”

Ghatsila (East Singhbhum):
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उन्होंने वर्ष 2005 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस गठबंधन से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ा। हालांकि जीत नहीं मिली, लेकिन 35 हजार से अधिक वोट लाकर उन्होंने साबित कर दिया कि वे क्षेत्र की राजनीति में मजबूत पकड़ रखते हैं।

2005 में निर्दलीय, 2009 में पहली जीत

वर्ष 2005 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की वजह से घाटशिला सीट कांग्रेस के खाते में चली गई थी। तब कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप बलमुचु मैदान में थे। टिकट नहीं मिलने पर रामदास सोरेन ने बगावत कर दी और निर्दलीय लड़े। हालांकि वे हार गए, लेकिन वोटों की संख्या ने उनके भविष्य का संकेत दे दिया।
वर्ष 2009 के चुनाव में झामुमो ने उन्हें टिकट दिया और वह पहली बार विधायक बने।

2014 की हार, फिर लगातार दो बार जीत

2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण टुडू से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने क्षेत्र में सक्रियता बनाए रखी।
2019 में उन्होंने भाजपा से सीट दोबारा छीनी और विधायक बने। 2024 के चुनाव में भी भारी मतों से जीत हासिल कर तीसरी बार विधायक बने। इसके बाद उन्हें दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

मंत्री बनने पर गांव में जश्न

मंत्री बनने के बाद रामदास सोरेन के पैतृक गांव खरस्वती (घाटशिला प्रखंड, दामपाड़ा क्षेत्र) में जश्न का माहौल था। मिठाइयाँ बांटी गईं और ग्रामीणों ने खुशी जताई। उनकी भाभी दुली सोरेन ने उस समय कहा था, “रामदास बाबू दोबारा मंत्री बने हैं, मेरा आशीर्वाद है कि वे गरीब-गुरबा की सेवा करते रहें।”

आखिरी कार्यक्रम और अस्वस्थता

27 जुलाई 2025 को रामदास सोरेन घाटशिला में मांझी-परगना महाल सभा में शामिल हुए थे। यहां उन्होंने अपने कोष से बोलेरो वाहन दिया और कई विकास योजनाओं का शिलान्यास किया।
इसके बाद वह दिल्ली गए और लौटकर कैबिनेट बैठक तथा जमशेदपुर कार्यक्रम में शामिल हुए। 2 अगस्त को जमशेदपुर में बाथरूम में गिरने से उन्हें गंभीर चोट लगी। सिर में खून जम जाने और ब्लड क्लॉटिंग के कारण हालत बिगड़ी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया।

शिबू सोरेन के निधन के बीच बिगड़ी हालत

इसी दौरान दिशोम गुरु शिबू सोरेन भी दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे। 4 अगस्त को उनका निधन हुआ और 5 अगस्त को नेमरा गांव में अंतिम संस्कार हुआ।

श्राद्ध कर्म के दिन ली अंतिम सांस

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) को, शिबू सोरेन के दशकर्म के दिन ही रामदास सोरेन का भी निधन हो गया। फिलहाल यह तय नहीं है कि उनका अंतिम संस्कार कब और कहां होगा। परिवार इस समय दिल्ली में है।

आखिरी समय तक साथ रहे कुणाल षाड़ंगी

बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी लगातार दिल्ली में मौजूद रहे और उनकी स्थिति की जानकारी मीडिया को देते रहे। उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि सबसे पहले रामदास सोरेन के बेटे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर की। इसके बाद कुणाल षाड़ंगी ने भी ट्वीट कर झारखंड के शिक्षा मंत्री के निधन की पुष्टि की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *