राँची :झारखंड की 1.36 लाख करोड़ की दावेदारी अब ‘सियासी युद्ध’ में तब्दील |

राँची :झारखंड की 1.36 लाख करोड़ की दावेदारी अब ‘सियासी युद्ध’ में तब्दील |

कोयले की रॉयल्टी और खदानों की जमीन के मुआवजे के रूप में केंद्र सरकार पर झारखंड की 1.36 लाख करोड़ की दावेदारी अब ‘सियासी युद्ध’ में तब्दील हो गई है. इसे लेकर पिछले चार दिनों से पक्ष-विपक्ष के बीच बयानों के तीर चल रहे हैं.राज्य के सीएम हेमंत सोरेन और झारखंड के पूर्व सीएम एवं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं.

इस विवाद ने तब जोर पकड़ा, जब 16 दिसंबर को बिहार के पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने केंद्र के पास झारखंड की बकाया राशि को लेकर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा था कि केंद्र सरकार कोयले से अर्जित राजस्व में झारखंड की हिस्सेदारी 1 लाख 41 हजार करोड़ की राशि क्यों नहीं दे रही है? इस पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का लिखित जवाब आया कि कोयले से अर्जित राजस्व के रूप में झारखंड का कोई बकाया नहीं है.सीएम हेमंत सोरेन ने 17 दिसंबर को इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया. उन्होंने कहा कि झारखंड की मांग जायज है. राज्य के विकास के लिए यह राशि जरूरी है. उन्होंने झारखंड के बीजेपी सांसदों से झारखंड की इस मांग पर आवाज बुलंद करने की अपील की.

हेमंत सोरेन के इस वक्तव्य पर झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “झामुमो हवा-हवाई बातें कर केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ का बकाया रखने का निराधार और भ्रामक आरोप लगा रहा है. अगर झामुमो के पास इस आंकड़े को लेकर कोई ठोस प्रमाण है, तो वे पूरे दस्तावेज़ और तथ्यों के साथ जनता के सामने रखें. झामुमो को स्पष्ट करना चाहिए कि राशि किस मद की है? कब से लंबित है और किन परिस्थितियों में यह दावा किया जा रहा है?”मरांडी ने हेमंत सोरेन को सीधे तौर पर चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “झूठे आरोपों और गलत आंकड़ों के सहारे केंद्र सरकार पर दोषारोपण करने की बजाय झारखंड की असल समस्याओं पर ध्यान दीजिए. बिना प्रमाण और आधारहीन आरोप लगाकर झारखंड की जनता को भ्रमित करने का यह खेल अब बंद होना चाहिए.”

उन्होंने आगे लिखा, “केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगाकर आप अपनी विफलताओं को छिपा सकते हैं. जनता को गुमराह करने की राजनीति से झारखंड का भला नहीं होगा. पूरे तथ्य और प्रमाण के साथ शुचिता की राजनीति करना सीखिए.”

हेमंत सोरेन ने इस पर बाबूलाल को जवाब दिया, “हम झारखंडियों की मांग हवा-हवाई नहीं है आदरणीय बाबूलाल जी. यह हमारे हक, हमारी मेहनत का पैसा है. झारखंडी हकों का आपका यह विरोध वाकई दुखद है. जब आपको अपने संगठन की पूरी ताकत लगाकर हमारे साथ खड़ा होना था, आप विरोध में खड़े हो गए. खैर, हम अपना हक अवश्य लेंगे, क्योंकि यह पैसा हर एक झारखंडी का हक है.”मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, “झारखंडियों के हक में इस बकाया राशि का एक-एक रुपये का विस्तृत ब्रेकअप केंद्र सरकार को कई बार दिया जा चुका है, फिर भी बीजेपी सरकार द्वारा इसे लगातार नकारना हमारे अधिकारों पर किया जाने वाला एक कुंठित प्रयास है. हम इसे होने नहीं देंगे. झारखंड बीजेपी अगर इस मुद्दे पर हम झारखंडियों के साथ अपनी आवाज बुलंद नहीं करती है तो यह साफ माना जाएगा कि इस हकमारी में उनकी बराबर की सहभागिता है.”

बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को एक बार फिर इसे लेकर हेमंत सोरेन से कई सवाल पूछे. उन्होंने लिखा, “हेमंत सोरेन की सरकार से मेरा सीधा सवाल : यह बकाया किस-किस साल का है और किस योजना-परियोजना का है? 1.36 लाख करोड़ की राशि का आधार क्या है? यूपीए शासनकाल और शिबू सोरेन जी के कोयला मंत्री रहते हुए कितनी राशि वसूली गई थी? पारदर्शिता क्यों नहीं? झारखंड के भ्रष्टाचार से भरे इतिहास को देखते हुए, जनता सब कुछ जानना चाहती है. सही दस्तावेज और तथ्यों को पारदर्शिता के साथ सामने रखें, तब बात करें. जहां भी जरूरत होगी, हम आपके साथ खड़े होंगे. लेकिन, झूठे आंकड़े और फर्जी दावे बर्दाश्त नहीं होंगे.”

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