रांची में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन, बरौदी से मोहनपुर कब्रिस्तान तक बनी मानव शृंखला |

रांची में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन, बरौदी से मोहनपुर कब्रिस्तान तक बनी मानव शृंखला |

रांची/बुढ़मू: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में मंगलवार, 15 अप्रैल को राजधानी रांची के बुढ़मू इलाके में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इस विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम समुदाय के हजारों लोग—महिला और पुरुष—सड़क पर उतरे और बरौदी से मोहनपुर कब्रिस्तान तक मानव शृंखला बनाकर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया।

मुद्दा: धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप का आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वक्फ की संपत्तियों से जुड़ा यह कानून सीधे तौर पर मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों पर प्रभाव डालता है। उनका दावा है कि यह कानून राजनीतिक दृष्टिकोण से लाया गया है, जबकि वक्फ से जुड़ा मामला पूरी तरह धार्मिक है।

‘संविधानिक अधिकारों की रक्षा करें’—तख्तियों के साथ दिया गया संदेश
प्रदर्शन में भाग लेने वालों ने हाथों में तख्तियां थाम रखी थीं, जिन पर लिखा था—‘वक्फ हमारा संवैधानिक अधिकार है’, ‘वक्फ अधिनियम 2025 रद्द करो’, और ‘हमारा हक मत छीनो’। ये नारे शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी विरोध के रूप में पूरे कार्यक्रम के दौरान गूंजते रहे।

स्थानीय गांवों की भागीदारी
बरौदी, खखरा, मोहनपुर, ठाकुरगांव, पतराटोली और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। मानव शृंखला ने एकता और सामूहिक भावना का प्रदर्शन किया।

मौलाना और संगठनों ने रखा पक्ष
कार्यक्रम को मजलिस-ए-उलमा झारखंड के प्रमुख मौलाना साबिर हुसैन ने संबोधित किया। उन्होंने कहा, “वक्फ संपत्ति का उपयोग समाज के जरूरतमंदों, गरीबों और यतीमों के लिए होता है। इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।”

कमेटी का नेतृत्व और आयोजन
इस कार्यक्रम का नेतृत्व इत्तेहादुल अंजना कमेटी के अध्यक्ष एजाज अंसारी ने किया, जबकि संचालन कमेटी के सचिव अनिसुल रहमान ने संभाला।
विरोध में मौलाना साबिर हुसैन के अलावा अहमद मौलवी साहब, अताउल्लाह अंसारी, जैनुल अंसारी, सरवर आलम, जावेद अख्तर और अन्य कई सामाजिक व धार्मिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।

निष्कर्ष:
रांची में हुए इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने यह संकेत दिया है कि मुस्लिम समुदाय वक्फ अधिनियम में किसी भी प्रकार के संशोधन को लेकर गंभीर है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से अपील की कि धार्मिक मामलों को राजनीतिक दृष्टिकोण से न देखा जाए और समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए।

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