रांची | झारखंड में मंत्री हफीजुल हसन अंसारी के विवादास्पद बयान ने नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। इस बयान के विरोध में भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को राजधानी रांची में शहीद चौक से राजभवन तक जोरदार आक्रोश मार्च निकाला।

भारी संख्या में जुटे भाजपा कार्यकर्ता
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और केंद्रीय राज्य मंत्री संजय सेठ के नेतृत्व में आयोजित इस मार्च में पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यकर्ताओं ने हाथों में संविधान की प्रतियां और विरोध बैनर लेकर नारेबाजी की – “शरीयत कानून नहीं चलेगा”, “संविधान सर्वोपरि है” जैसे नारों से पूरा शहर गूंज उठा।

राज्यपाल से मंत्री को हटाने की मांग
मार्च के बाद भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर मंत्री हफीजुल हसन को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। भाजपा नेताओं का कहना है कि मंत्री का बयान न सिर्फ संविधान विरोधी है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक सौहार्द के खिलाफ भी है।
भाजपा का आरोप – “शरीयत को संविधान से ऊपर रखना घातक”
भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार ऐसे बयानों का समर्थन करती है? उनका कहना है कि भारत का शासन संविधान से चलता है, और किसी भी मंत्री द्वारा शरीयत को संविधान से ऊपर रखने की सोच पूरी तरह से गलत और अस्वीकार्य है।
बाबूलाल मरांडी ने स्पष्ट कहा, “ऐसे व्यक्ति को मंत्री पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो भाजपा इस आंदोलन को और भी व्यापक रूप देगी।”
कड़े सुरक्षा इंतजाम, कई वरिष्ठ नेता हुए शामिल
आक्रोश मार्च के मद्देनजर शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। मार्च में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, सांसद दीपक प्रकाश, अन्नपूर्णा देवी, प्रदीप प्रसाद, विधायक सीपी सिंह, नवीन जायसवाल, शशांक राज सहित कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

क्या है पूरा मामला?
विवाद उस समय शुरू हुआ जब मंत्री हफीजुल हसन अंसारी ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि “दिल में शरीयत और हाथ में संविधान लेकर चलना चाहिए।” इस बयान को भाजपा ने संविधान विरोधी करार देते हुए तीव्र प्रतिक्रिया दी है। भाजपा का कहना है कि ऐसे बयान समाज में भ्रम और विभाजन पैदा करने वाले हैं और इन पर तत्काल संज्ञान लिया जाना चाहिए।