सांसद पप्पू यादव ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से की Z+ Security की मांग !

सांसद पप्पू यादव ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से की Z+ Security की मांग !

इन दिनों बिहार के पूर्णिया से निर्दलिय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव Z+ सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। असल में सांसद पप्पू यादव को इन दिनों लॉरेंस बिश्नोई गैंग की ओर से जान से मारने की धमकी मिल रही है। ना सिर्फ लॉरेंस बिश्नोई बल्की झारखंड के मुख्य गिरोह अमन साहू गैंग के गैंगस्टर मयंक सिंह ने भी मलेशिया से पप्पू यादव को जान से मारने की धमकी दी थी।

बता दे कि ये धमकी पप्पू यादव को 7 दिसंबर को दी गई थी। वही अब पप्पू यादव के ऊपर लॉरेंस बिश्नोई गैंग का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में पहले उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार और फिर बिहार सरकार से सुरक्षा की मांग थी, पर दोनों की तरफ से निराशा झेलने के बाद अब उन्होंने पड़ोस राज्य, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सुरक्षा की मांग की है। आपको ये भी बताते चले कि भले ही पप्पू यादव निर्दलिय सांसद हैं लेकिन वह इंडी गठबंधन का एक अभिन्न अंग भी है। वही बीते दिनों झारखंड में जब विधानसभा चुनाव सरपर थे, तब भी पप्पू यादव को इंडी ब्लॉक के उम्मीदवारो के लिए कैंपेन करते हुए भी देखा गया था। वही बात करे Z+ सिक्योरिटी की तो लॉरेंस बिश्नोई गैंग से धमकिया मिलने के बाद उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए Z+ की मांग की है। वही पूर्व में उनके पास Y+ सुरक्षा थी, जिसकी कटौती कर साल 2019 में उन्हें Y सुरक्षा दी गई थी। इसपर उनका कहना है कि श्रेणी के अनुसर बिहार सरकार ने उन्हें कभी सुरक्षा दी ही नहीं है। वही बात अगर Z+ सुरक्षा की करे तो देश के सम्मानित लोगों और नेताओं को जान का खतरा होने पर उन्हें Z+ सिक्योरिटी दी जाती है. ये सुरक्षा मिनिस्टर्स को मिलने वाली सिक्योरिटी से अलग होती है. पहले सरकार को इसके लिए एप्लिकेशन देनी होती है, जिसके बाद सरकार खुफिया एजेंसीज के जरिए खतरे का अंदाजा लगाती हैं. खतरे की बात कंफर्म होने पर सुरक्षा दी जाती है. होम सेक्रेटरी, डायरेक्टर जनरल और चीफ सेक्रेटरी की कमेटी ये तय करती है कि संबंधित लोगों को किस कैटेगरी में सिक्योरिटी दी जाए. पुलिस के साथ-साथ कई एजेंसीज VIP और VVIP को सिक्योरिटी कवर दे रही हैं. इनमें स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी SPG, NSG, ITBP और CRPF शामिल हैं. हालांकि, खास लोगों की सुरक्षा का जिम्मा NSG संभालती है, लेकिन जिस तरह से Z+ सिक्योरिटी लेने वालों की संख्या बढ़ी हैं, उसे देखते हुए CISF को भी यह काम सौंपा जा रहा है.

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