झिरी में स्थापित होने जा रहा बायोगैस प्लांट । यह बायोगैस प्लांट प्रतिदिन 300 मैट्रिक टन गोबर कचरा प्रोसेस करने की क्षमता रखेगा।रांची से रोजाना निकलने वाले लग भग 600 मैट्रिक टन कूड़ा में शामिल 300 मैट्रिक टन गिला कचरे से अब बायो गैस बनेगी। गेल इंडिया ने इस प्लांट का निर्माण किया है। अभी एक प्लांट बनकर कंप्लीट हो चुका है वही दूसरा कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा।वही कुछ रिपोर्ट्स से ये पता चला है की रांची में प्रतिदिन 300 टन ऑर्गेनिक कचरा जैसे घर से निकलने वाले फल , सब्जी, वेस्ट फूड आदि से बायो गैस बनेगा।वही इस प्रोसेसिंग से 10 फीसदी मुनाफा भी नगर निगम को मिलेगा।
इस प्लांट का मुख्य उद्देश्य कृषि कचरे और गोबर से बायोगैस का उत्पादन करना है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी और ऊर्जा की एक नई स्रोत मिलेगी। बायोगैस प्लांट में गोबर और अन्य जैविक कचरे को विशेष प्रक्रिया के तहत प्रोसेस किया जाएगा, जिससे गैस का उत्पादन होगा, जिसका उपयोग ऊर्जा के रूप में किया जा सकेगा।
रांची के सभी घरों और दुकानों से निकाला हुआ कचरा पिछले 24 वर्षो से झिरी में डंप होता आया है।
इसको यह से हटने के लिए ठेका गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है ।वही इस प्लांट को बनने में करीब 93 करोड़ रूपए का खर्च हुआ है। और कही न कही ये झिरी के रहने वाले लोग को बहुत सारी मुश्किल और बीमारी का सामना करना पड़ता है
इस प्लांट की स्थापना से ना केवल कचरे का उचित प्रबंधन होगा, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी ऊर्जा के रूप में लाभ मिलेगा। इसके अलावा, इससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हरित ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
राजधंज रांची के विकास में ये एक बहुत बड़ा कदम है।
इस प्लांट के शुरू होने से कितने लोगो को रोजगार मिलेगा जो देश के डेवलपमेंट ने मदद करेगा।
अब इसके बाद हम ये जानते है की इसको बनने का प्रोसेस क्या है।
सबसे पहले, एक बड़े स्थल का चयन करें जो कि पानी और कच्चे माल की उपलब्धता के अनुसार हो।
प्लांट का डिज़ाइन सोचे और उससे तैयार करें जिसमें बायोगैस के लिए कच्चे माल, वेस्ट मटेरियल और गैस की स्टोरेज की जगह हो
तय किए गए स्थल पर खुदाई करें और प्लांट के निर्माण के लिए जगह तैयार करें।
एक गहरे और मजबूत टैंक का निर्माण करें जिसमें बायोमास डाला जाएगा। यह टैंक गैस को इकट्ठा करने का काम करेगा।
सामग्री को मिलाने और ठंडा करने के लिए अन्य मशीनों की आवश्यकता होती है।
गैस निकलने के लिए पाइपलाइन और गैस की वेंटिलेशन की व्यवस्था करें ताकि गैस का वितरण आसानी से हो सके।
भी उपकरण तैयार होने के बाद, प्लांट का सेटअप पूरा करें और बायोगैस उत्पादन की टेस्टिंग करें।
प्लांट के संचालन की निगरानी करें और नियमित रूप से रखरखाव करें ताकि प्लांट अच्छे से काम करता रहे। कंपनी के लोगो ने मीडिया से बात करते हुए कहा हमारी कोशिश है कि इस परियोजना को समय पर पूरा किया जाए और इसे सफलतापूर्वक चालू किया जाए, ताकि इसका लाभ सभी को मिल सके।