झारखंड राज्य के 9 सरकारी यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के करीब 2200 और कर्मचारियों के 3300 पद खाली है। आपको बता दे कि कार्चरियों के पद पर तीन दशक से तो शिक्षकों के पद पर 6 साल से नियुक्ति नहीं हुई है। जरूरत से काम शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है । जानकारी के अनुसार कर्मचारियों के खाली पदों पर केवल अनुकंपा के आधार पर न्युक्ति हुई है। रांची विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएटेड प्रोफेसर साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर के 782 पद और कर्मचारियों के 700 पद खाली है। जहां डाक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के 166 पदों में 126 पद खाली है ।
साथ ही वही कर्मचारियों के 73 पदों पर न्युक्ति नहीं हुई है।हाइकोर्ट का आदेश चार महीने में भरे खाली शिक्षकों के पदविश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को चार महीने में पूरा करने का आदेश झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार को दिया है। प्रसिला सोरेन की याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि उच्च शिक्षा सचिव , उच्च शिक्षा निदेशक और जेपीएससी नियुक्ति नियमों की बाधाओं को दो महीने में दूर करे। उसके अलावा झारखंड राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों से मिली अधियाचना के आधार पर जेपीएससी नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकले और नियुक्ति प्रक्रिया जल्दी ही शुरू करे।
लेकिन आपको बता दे को प्रसिला सोरेन सिदो – कान्हू मुर्मू यूनिवर्सिटी में अनुबंध पर कार्यरत थी। उन्हें यह कहते हुए हटा दिया कि अब स्थाई नियुक्ति होगी। वही अनुबंध पर कार्यरत दूसरे शिक्षकों को नहीं हटाया गया । इसके बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया।डेटा के अनुसार राज्य में पिछले कुछ सालों में दो दर्जन नए कालेज खुले है। लेकिन एक भी पद पर आज तक नियुतिक नहीं हुई है। इस वजह से सभी पद अनुबंध से भरे गए है। इन सारी वजहें से शिक्षा व्यवस्था पर काफी प्रवभ पड़ रहा है।विनोबा भावे व कोल्हान वीवी की तरफ से वकील एके सिंह ने पैरवी की। वही साथ ही डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी की ओर से अर्पण मिश्रा, जेपीएससी की ओर से एडवोकेट संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार और जयप्रकाश ने पक्ष रखा।