बालू की कीमत अब सोने की तरह बढ़ रही है। बात कुछ ऐसी है कि 1 दिसंबर को 2000 रुपए में एक ट्रैक्टर बालू मिल रहा था । वही अब 4000 रुपए में चोरी –छिपे मिल रहा है। इसमें 40 सीएफएटी बालू आ रहा है। जहां 1 दिसंबर को 7000 में एक टर्बो बालू मिल रहा था, लेकिन अभी 10 से 11 हजार रुपए में मिल रहा है। इसमें आपको 80 से 100 सीएफएटी बालू आ रहा है। अभी के समय झारखंड में बालू की भरी किल्लत हो रही है। झारखंड की स्तिथि इतनी खराब हो गई है कि अब बालू बोरी में भर कर बेचा जा रहा है। आपको बता दें कि पलामू जैसे क्षेत्र, जहा कोयल के साथ कोई नदियों में इतनी बालू है,लेकिन वहां भी 25 से 40 रुपए प्रति बोरी बालू बेचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों चोरी–छिपे बालू का कर मुंहमांगी कीमत मांग रहे है, और लोग मजबूरी में खरीद भी रहे है।वही आपको बता दे कि बीते 10 दिनों बालू की कीमत में प्रति हाइवा 12 हजार रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हो गई है। जहां 10 दिन पहले एक हाइवा बालू का कीमत 38 हजार रुपए था,वही अब उसकी कीमत 50 हजार रुपए देना पड़ रहा है। लोग इतने पैसे दे रहे है लेकिन अभी भी कोई गारंटी नहीं है कि बालू मिल ही जाएगा। दिक्कत ये है कि अब तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंसेंट टू ऑपरेट की अनुमति नहीं मिली है। इसी कारण रांची के किसी भी घाट से बालू का उठाव नहीं हो रहा है।नतीजा यह है कि अपार्टमेंट से लेकर आबुआ आवास योजना का काम ठप पड़ गया है। ऐसे में जो लोग आपने घरों में काम लगवाए है उन्होंने घर का काम रोक दिया है। बालू एसोसिएशन के अनुसार बालू नहीं मिलने से निर्माण क्षेत्र से जुड़े 5 लाख से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि राज्यभार में 444 बड़े बालू घट है। एक साल पहले ये सारे घाटों का टेंडर किया गया था। ऐसे में अभी तक सिर्फ 51 घाटों से ही बालू खनन की पर्यावरण स्वीकृति मिली है। जहां अभी इनमें से 24 घाटों से ही केवल बालू का उठाव किया जा रहा है। वही रांची में कुल 19 बालू घाट है, जिसमे सिल्ली के तीन घाटों को ही पर्यावरण स्वीकृति मिली है। लेकिन खबरें मिली है कि वह से भी बालू नहीं उठवाया जा रहा है।
बालू की इतनी किल्लत हो गई है कि अब बालू बिहार से मनवाएं जा रहे हैं।
झारखंड में अब बालू महंगी होने के कारण इन दिनों बालू बड़े पैमाने पर बिहार से मंगवाया जा रहा है। जहां रांची , खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, गढ़वा में बिहार से हर दिन लगभग 100 ट्रक से ज्यादा बालू आ रहा है। वही बिहार से आने वाले बालू में मिट्टी का अंश मिल है। इसलिए लोगों को बिहार की मिट्टी पसंद नहीं आ रही है।
खान सचिव जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा बालू का विषय जीएसएमडीसी से जुड़ा हुआ है । इसलिए उसके एमडी से बात कीजिए।
जब जीएसएमडीसी के एमडी राहुल कुमार सिन्हा से बात किया तो उन्होंने कहा मैं अभी ट्रेनिंग पर हु।अभी वो निदेशालय नहीं देख रहे हैं। अभी जो भी प्रभार में होंगे , वे ही बेहतर बता सकता है। खान विभाग और कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री के पास है। पता करने पर बताया गया कि खान निदेशक का प्रभार किसी को नहीं दिया गया है।बालू की कीमत अब सोने की तरह बढ़ रही है। बात कुछ ऐसी है कि 1 दिसंबर को 2000 रुपए में एक ट्रैक्टर बालू मिल रहा था । वही अब 4000 रुपए में चोरी –छिपे मिल रहा है। इसमें 40 सीएफएटी बालू आ रहा है। जहां 1 दिसंबर को 7000 में एक टर्बो बालू मिल रहा था, लेकिन अभी 10 से 11 हजार रुपए में मिल रहा है। इसमें आपको 80 से 100 सीएफएटी बालू आ रहा है। अभी के समय झारखंड में बालू की भरी किल्लत हो रही है। झारखंड की स्तिथि इतनी खराब हो गई है कि अब बालू बोरी में भर कर बेचा जा रहा है। आपको बता दें कि पलामू जैसे क्षेत्र, जहा कोयल के साथ कोई नदियों में इतनी बालू है,लेकिन वहां भी 25 से 40 रुपए प्रति बोरी बालू बेचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों चोरी–छिपे बालू का कर मुंहमांगी कीमत मांग रहे है, और लोग मजबूरी में खरीद भी रहे है।वही आपको बता दे कि बीते 10 दिनों बालू की कीमत में प्रति हाइवा 12 हजार रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हो गई है। जहां 10 दिन पहले एक हाइवा बालू का कीमत 38 हजार रुपए था,वही अब उसकी कीमत 50 हजार रुपए देना पड़ रहा है। लोग इतने पैसे दे रहे है लेकिन अभी भी कोई गारंटी नहीं है कि बालू मिल ही जाएगा। दिक्कत ये है कि अब तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंसेंट टू ऑपरेट की अनुमति नहीं मिली है। इसी कारण रांची के किसी भी घाट से बालू का उठाव नहीं हो रहा है।नतीजा यह है कि अपार्टमेंट से लेकर आबुआ आवास योजना का काम ठप पड़ गया है। ऐसे में जो लोग आपने घरों में काम लगवाए है उन्होंने घर का काम रोक दिया है। बालू एसोसिएशन के अनुसार बालू नहीं मिलने से निर्माण क्षेत्र से जुड़े 5 लाख से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि राज्यभार में 444 बड़े बालू घट है। एक साल पहले ये सारे घाटों का टेंडर किया गया था। ऐसे में अभी तक सिर्फ 51 घाटों से ही बालू खनन की पर्यावरण स्वीकृति मिली है। जहां अभी इनमें से 24 घाटों से ही केवल बालू का उठाव किया जा रहा है। वही रांची में कुल 19 बालू घाट है, जिसमे सिल्ली के तीन घाटों को ही पर्यावरण स्वीकृति मिली है। लेकिन खबरें मिली है कि वह से भी बालू नहीं उठवाया जा रहा है।
बालू की इतनी किल्लत हो गई है कि अब बालू बिहार से मनवाएं जा रहे हैं।
झारखंड में अब बालू महंगी होने के कारण इन दिनों बालू बड़े पैमाने पर बिहार से मंगवाया जा रहा है। जहां रांची , खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, गढ़वा में बिहार से हर दिन लगभग 100 ट्रक से ज्यादा बालू आ रहा है। वही बिहार से आने वाले बालू में मिट्टी का अंश मिल है। इसलिए लोगों को बिहार की मिट्टी पसंद नहीं आ रही है।
खान सचिव जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा बालू का विषय जीएसएमडीसी से जुड़ा हुआ है । इसलिए उसके एमडी से बात कीजिए।
जब जीएसएमडीसी के एमडी राहुल कुमार सिन्हा से बात किया तो उन्होंने कहा मैं अभी ट्रेनिंग पर हु।अभी वो निदेशालय नहीं देख रहे हैं। अभी जो भी प्रभार में होंगे , वे ही बेहतर बता सकता है। खान विभाग और कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री के पास है। पता करने पर बताया गया कि खान निदेशक का प्रभार किसी को नहीं दिया गया है।