रांची: झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय अधिवक्ता टीम ने गुरुवार को रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) का औचक निरीक्षण किया। टीम में अधिवक्ता दीपक दुबे, राशि शर्मा और खालिदा हया रश्मि शामिल थीं। जैसे ही टीम अस्पताल के मुख्य द्वार पर पहुंची, जर्जर इमारतें, टूटी हुई फर्श और अव्यवस्था साफ नजर आई।
निरीक्षण के दौरान टीम ने विभिन्न वार्ड, ओपीडी, कैदी वार्ड, ट्रॉमा सेंटर, इमरजेंसी, किचन, कार्डियोलॉजी, सेंट्रल लैब और सीटी स्कैन सेंटर का दौरा किया। हर जगह बुनियादी सुविधाओं की कमी, सफाई व्यवस्था की लापरवाही और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी सामने आई।
एक नर्स पर 40 मरीजों का भार, डॉक्टरों की भारी कमी
टीम के अनुसार, कई वार्डों में 36-40 मरीजों पर सिर्फ एक नर्स की जिम्मेदारी है। रिम्स प्रशासन ने भी माना कि अस्पताल में 300 डॉक्टर, 144 नर्स और 416 थर्ड व फोर्थ ग्रेड कर्मियों की कमी है। साथ ही, 350 से अधिक जरूरी मेडिकल उपकरण भी उपलब्ध नहीं हैं।
शौचालय की बदहाली – 250 मरीजों के लिए एक टॉयलेट
निरीक्षण में सामने आया कि ओपीडी के पास बने दो शौचालयों में तेज बदबू के कारण प्रवेश करना मुश्किल था। वार्ड के टॉयलेट में टूटा दरवाजा, खुली खिड़की और गंदगी फैली हुई थी। मरीजों ने बताया कि दिन में सिर्फ एक बार सफाई होती है और दवाओं के साथ कई बार टेस्ट के लिए भी बाहर जाना पड़ता है।
10 साल से जमा पानी और जंग लगी रेलिंग
कैदी वार्ड के निरीक्षण में पाया गया कि सीढ़ियां जंग लगी रेलिंग के कारण खतरनाक हो चुकी हैं और बेसमेंट में पिछले 10 वर्षों से पानी जमा है। यह मरीजों और स्टाफ दोनों के लिए हादसे का खतरा है।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
मरीजों की बदहाल स्थिति और बुनियादी सुविधाओं की कमी पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ता टीम को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।