Ranchi: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता और झारखंड आंदोलन के नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्षों को याद किया। उन्होंने कहा कि भले ही आज उनके मार्गदर्शक और गुरु सशरीर मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, आदर्श और संघर्ष हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
सीएम ने कहा, “मेरे पिता सिर्फ मेरे अभिभावक ही नहीं थे, बल्कि पूरे आदिवासी समाज और झारखंड की आत्मा थे। वे संघर्ष के प्रतीक और जल-जंगल-जमीन के सबसे मुखर रक्षक थे।”

प्रकृति से शुरू होकर प्रकृति पर खत्म होता है आदिवासी जीवन-दर्शन
हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज ने मानवजाति को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर खुशहाल जीवन जीने का मार्ग दिखाया है। उनका जीवन-दर्शन प्रकृति से शुरू होकर प्रकृति पर ही समाप्त होता है। लेकिन सदियों से आदिवासी और शोषित-वंचित समाज को हाशिये पर रहने के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने बताया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने इस स्थिति को बदलने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। विश्व आदिवासी दिवस पर राज्यभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम उनके प्रिय रहे, क्योंकि यह अवसर आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और प्रतिभा को एक मंच पर लाने और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का माध्यम है।
वीर पुरखों को नमन और आदिवासी अस्मिता की मशाल ऊंची करने का संकल्प
सीएम ने कहा, “मैं अपने बाबा दिशोम गुरु और सभी वीर पुरखों को नमन करता हूं, जिन्होंने संघर्ष और बलिदान देकर हमारी पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा की। मैं संकल्प लेता हूं कि उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए झारखंड और देश में आदिवासी अस्मिता की मशाल को और ऊंचा करूंगा।”
अंत में उन्होंने देशभर के आदिवासी योद्धाओं को अमर बताते हुए रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं।