रांची: सरना स्थल विवाद पर केंद्रीय सरना समिति का बड़ा खुलासा |

रांची: सरना स्थल विवाद पर केंद्रीय सरना समिति का बड़ा खुलासा |

रांची: केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष श्री अजय तिर्की ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आदिवासी समाज और प्रदेश की जनता के सामने कई अहम खुलासे किए। उन्होंने रांची के सिरम टोली सरना स्थल के सामने बने रैंप के विरोध और उससे जुड़ी राजनीति की वास्तविकता उजागर की।

प्रदर्शन और विरोध के पीछे का सच
अजय तिर्की और अन्य आदिवासी संगठनों ने बताया कि जो लोग रैंप के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्होंने ही पहले भू-अर्जन विभाग में सरना स्थल की जमीन के लिए मुआवजा लेने के लिए आवेदन दिया था। इनमें से प्रमुख व्यक्ति अरविंद हंस ने भू-अर्जन विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस को रिसीव किया लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने अपने नाम पर मुआवजा लेने के लिए आवेदन दिया।

जब यह स्पष्ट हुआ कि जिस 10 फीट जमीन की बात हो रही थी, वह गैर-मजरूआ आम भूमि है और इसके लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है, तब सरकार पर दबाव बनाने के लिए रैंप के मुद्दे को विरोध का आधार बनाया गया।

समाज और सरकार के बीच भ्रम फैलाने की साजिश
अजय तिर्की ने आरोप लगाया कि अरविंद हंस और उनके सहयोगी समाज की आस्था और भावना का दुरुपयोग अपने निजी स्वार्थ के लिए कर रहे हैं। वे विपक्षी दलों के समर्थन से विकास कार्यों में बाधा डालने और समाज व सरकार के बीच गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग समाज में अशांति फैलाकर राजनीतिक लाभ उठाना और आर्थिक फायदे के लिए सौदेबाजी करना चाहते हैं।

सरना स्थल की सुरक्षा और समाधान
अजय तिर्की ने यह भी बताया कि फ्लाईओवर का निर्माण दो साल पहले से चल रहा था, लेकिन तब कोई विरोध नहीं हुआ। जब तक विरोध करने वालों को मुआवजे की उम्मीद थी, वे शांत थे। लेकिन जब एलएनटी कंपनी ने और 10 फीट जमीन लेने की मांग रखी, तब अजय तिर्की ने समाज के लोगों को मुख्यमंत्री से मिलवाया। इस मुलाकात के बाद निर्णय लिया गया कि सरना स्थल की एक इंच भी जमीन नहीं ली जाएगी।

समाज को एकजुट रहने की अपील
अजय तिर्की ने कहा कि समाज को ऐसे स्वार्थी तत्वों को पहचानकर उनका बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने अपील की कि 22 मार्च को प्रस्तावित बंद का विरोध करें और आने वाले सरहुल पर्व की तैयारी पूरे उत्साह और धूमधाम से करें ताकि समाज अपनी सकारात्मक और विकासशील सोच का परिचय दे सके।

बैठक में शामिल प्रमुख लोग
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष शिलाजीत तिर्की, श्री रूपचंद केवट, श्री अजीत उरांव (अध्यक्ष, झारखंड क्षेत्रीय पहाड़ा), राजीव पड़हा (सरना प्रार्थना सभा भारत), सचिन कच्छप, कैलाश तिर्की (फ्रीडम फाइटर, झारखंड सोशल वर्क), मुन्ना आरंग, कृष्ण मुंडा (मोराबादी सेवा समिति), दयाराम (आदिवासी छात्र संगठन), रवि मुंडा (तेतर टोली सरना समिति), सोनम लाकड़ा, दीपिका कश्यप, सुनील सोरेन, अमित मुंडा, अखिलेश पाहन, तुषार कश्यप, सुभाष मुंडा समेत कई अन्य समाजसेवी एवं संगठन के लोग उपस्थित थे।

इन सरना समितियों ने बंद का समर्थन नहीं किया
बैठक में मौजूद विभिन्न सरना समितियों ने 22 मार्च के रांची बंद से दूरी बनाने की घोषणा की। इनमें शामिल हैं:

  • बढ़िया तू सारण समिति
  • हेसल सरना समिति
  • बड़ा घाघरा सरना समिति
  • मनी टोला सरना समिति
  • पोखर टोली सरना समिति
  • हरमू सरना समिति
  • पहाड़ी टोला सरना समिति
  • कडरू फूल टोली सरना समिति
  • नया टोली बरियातू सरना समिति
  • राजीव पड़ाहा सरना प्रार्थना सभा भारत महिला प्रकोष्ठ
  • केंद्रीय सरना समिति भारत
  • हरमू देला टोली सरना समिति
  • खोखमाटोली सरना समिति
  • बिरसा चौक सरना समिति
  • मोराबादी तेतर टोली सरना समिति
  • रांची महानगर सरना प्रार्थना सभा
  • खजरी सरना समिति नामकुम
  • लोआडी सरना समिति
  • 22 पड़ाहा सरना समिति कोकर
  • बंद गाड़ी सरना समिति
  • न्यू गार्डन सरना समिति सिरम टोली

निष्कर्ष
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्रीय सरना समिति ने साफ किया कि रांची बंद के पीछे स्वार्थी मंशा और समाज को गुमराह करने की राजनीति हो रही है। समिति ने सभी आदिवासी संगठनों से अनुरोध किया कि वे समाज के विकास और एकता के लिए सकारात्मक भूमिका निभाएं।

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